महराजगंज: महराजगंज जिले में स्थित रामग्राम, लेहड़ा देवी का मंदिर, बी-गैप, सोहागिबरवा वन्य जीवन अभयारण्य, दर्जिनिया ताल और नारायणी नदी जैसे अद्भुत स्थल प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनूठा संगम प्रस्तुत करते हैं। यदि आप महराजगंज में घूमने लायक जगह (Maharajganj Top Tourist Place) ढूढ रहे हैं तो आप सही जगह हैं। हम आपको बताएंगे महराजगंज के कुछ शानदार जगह, जो आपको आनंदित कर देगा। ये स्थल पर्यटकों को धार्मिक आस्था, वन्यजीवों की विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव प्रदान करते हैं, जो यहां की समृद्धि और विविधता को दर्शाते हैं।
रामग्राम, महराजगंज (Ramgram Maharajganj)
महाभारत काल के बाद, इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। कोसल राज्य के अधीन कई छोटे गणराज्य आए, जिनमें कपिलवस्तु और रामग्राम भी शामिल थे। रामग्राम में कोलियों ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के ऊपर स्तूप बनवाया, जिसका उल्लेख फाह्यान और हंसांग ने किया। सम्राट अशोक के समय में यह क्षेत्र मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था, और अशोक ने यहां स्तूप की धातु हटवाने का प्रयास किया, जैसा कि अश्वघोष के बुद्ध चरित में वर्णित है।
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इटहिया मंदिर (Itahiya Mandir)
इटहियां स्थित प्राचीन शिव मंदिर उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले की तहसील निचलौल के मुख्यालय से ठूठीबारी मार्ग होते हुए पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर गोडौरा बाजार से 5 किमी और निचलौल से 13 किमी दूर है। 1968-69 में एक महंत द्वारा स्थापित इस मंदिर में रुद्राभिषेक, मुंडन और विवाह जैसे धार्मिक समारोह बहुत श्रद्धा से किए जाते हैं। सोमवार को विशेष भीड़ होती है, खासकर श्रवण महीने और शिवरात्रि के दौरान। मंदिर सुबह 6 से 8 बजे तक खुलता है।
अदरौना (लेहड़ा) देवी का मंदिर
महराजगंज जिले का लेहड़ा देवी मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जो फरेंदा तहसील मुख्यालय से 5 किमी और बजमनगंज मार्ग से 2 किमी पश्चिम स्थित है। यह स्थल प्राचीनकाल में घने आर्द्रवन से आच्छादित था, और यहां मां बनदेवी दुर्गा का पवित्र मंदिर स्थित है। लोकश्रुति के अनुसार, महाभारत काल में अर्जुन ने इस मंदिर की स्थापना की थी। इस स्थान की महत्ता विशेष रूप से पवह नदी से जुड़ी मान्यताओं से भी है। मंदिर के पास एक तपस्थली भी है, जहां प्रसिद्ध योगी बाबा वंशीधर की समाधि स्थित है। वे अपनी योग शक्ति से कई चमत्कारों और लोक कल्याण कार्यों के लिए प्रसिद्ध थे।
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बी-गैप
नारायणी नदी, जो नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों से 80 किमी की यात्रा कर भारत के बिहार प्रांत के बगहा जनपद के झुलनीपुर क्षेत्र में प्रवेश करती है, यहाँ से इसका नाम बड़ी गंडक नदी हो जाता है। इस नदी की मध्य धारा भारत और नेपाल की सीमा को विभाजित करती है। 1959 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और नेपाल के राजा महेंद्र विक्रम शाह के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत वाल्मीकि नगर बैराज और पश्चिमी मुख्य गंडक नहर का निर्माण नेपाल के भू-क्षेत्र से किया गया। इसके बदले में भारत ने गंडक नदी के दायें तट पर स्थित नेपाल सीमा तक के क्षेत्र को बाढ़ और कटाव से बचाने की जिम्मेदारी ली।
सोहागिबरवा वन्य जीवन अभयारण्य
सोहागिबरवा वाइल्डलाइफ डिवीज़न पहले गोरखपुर वन डिवीज़न का हिस्सा था और 1964 में गोरखपुर वन विभाग को उत्तरी और दक्षिणी गोरखपुर वन डिवीज़न में विभाजित किया गया था। हालांकि, यह विभाजन 1965 में समाप्त हो गया और केवल गोरखपुर वन विभाग का अस्तित्व रहा। बेहतर वन प्रबंधन के लिए 1978 में उत्तर गोरखपुर और दक्षिण गोरखपुर डिवीज़न को फिर से दो भागों में विभाजित किया गया। 1987 तक, सोहागिबरवा वन्य जीवन विभाग को उत्तर गोरखपुर क्षेत्रीय वन विभाग के तहत प्रबंधित किया गया था।
दर्जिनिया ताल व नारायणी नदी
जिला मुख्यालय के अंतिम छोर पर स्थित भेडिहारी गांव का कटान टोला एक अनोखा और आकर्षक स्थल है, जहां मगरमच्छों के साथ लोग भी रहते हैं। इस गांव से सटा ताल करीब 450 मगरमच्छों का घर है, जिन्हें सुबह और शाम आसानी से देखा जा सकता है। ताल में बने टीलों पर मगरमच्छ अपने बच्चों के साथ खेलते और झुंडों में होते हैं। जब ये पानी में छलांग लगाते हैं, तो दृश्य बेहद रोमांचक होता है। इसके अलावा, नारायणी गंडक नदी में डॉलफिन और घड़ियाल भी देखे जा सकते हैं। वन विभाग ने घड़ियालों के संरक्षण हेतु 55 घड़ियालों को लखनऊ के कुकरैल प्रजनन केंद्र से यहां छोड़ा था।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:-
- महराजगंज में घूमने लायक जगहों के नाम क्या है?
- महराजगंज के टॉप पांच जगह बताएं?
- महराजगंज में प्राचिन मंदिरों के नाम क्या है?
- दर्जिनिया ताल महराजगंज कहा हैं?
- सोहागिबरवा वन्य जीवन अभयारण्य महराजगंज कैसे पहुंचे?
- इटहिया मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
- लेहड़ा देवी मंदिर का इतिहास क्या है?
- रामग्राम का इतिहास क्या है?
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सोहागिबरवा वन्य जीवन अभयारण्य
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