UP Panchayat chunav Expected dateUP Panchayat chunav Expected date

UP Panchayat Chunav: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर गांवों में सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं। भले ही चुनाव में अभी लगभग एक साल बाकी हो, लेकिन गांवों में संभावित प्रत्याशी अपनी पकड़ मजबूत करने में जुट गए हैं। चाय की दुकानों से लेकर चौपालों तक चुनावी चर्चाएं तेज हो गई हैं। उम्मीदवार वोटरों को रिझाने के लिए सामाजिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। वहीं, आरक्षण को लेकर भी चर्चाओं का दौर जारी है।

कब होंगे यूपी पंचायत चुनाव?

उत्तर प्रदेश में पिछला पंचायत चुनाव 2021 में हुआ था, जो कि कोविड-19 महामारी के कारण तय समय से देरी से हुआ था। इसी कारण अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि आगामी पंचायत चुनाव 2025 के अंत तक हो सकता है। हालांकि, अधिकतर लोगों का मानना है कि चुनाव अपने निर्धारित समय पर यानी 2026 के अप्रैल माह के आस-पास ही होंगे। फिलहाल राज्य चुनाव आयोग की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई है, लेकिन चुनावी तैयारियों को देखते हुए प्रत्याशी अभी से अपनी रणनीति बनाने में लगे हुए हैं।

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प्रत्याशियों की सक्रियता बढ़ी-

ग्राम प्रधान और बीडीसी के संभावित प्रत्याशी मतदाताओं से संपर्क साधने में जुटे हैं। वे विभिन्न तरीकों से जनता का विश्वास जीतने का प्रयास कर रहे हैं। शादी-विवाह, धार्मिक कार्यक्रम और सामाजिक आयोजनों में उनकी सक्रियता बढ़ गई है। गांवों में विभिन्न विकास कार्यों को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। कई प्रत्याशी अपने पुराने कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाने में लगे हैं, जबकि नए प्रत्याशी बदलाव और विकास के वादे कर रहे हैं।

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आरक्षण को लेकर भी गांवों में चर्चाएं तेज

आरक्षण को लेकर भी गांवों में चर्चाएं हो रही हैं। कई लोग इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि आगामी चुनाव में उनके वार्ड या ग्राम सभा में आरक्षण की स्थिति क्या होगी। खासतौर पर अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को लेकर प्रत्याशियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आरक्षण सूची जारी होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि कौन किस सीट से चुनाव लड़ सकता है।

गांवों में जातीय समीकरण भी बड़ी भूमिका

इसके अलावा, गांवों में जातीय समीकरण भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। कई प्रत्याशी अभी से अपने समुदायों को एकजुट करने में लगे हैं, ताकि चुनाव में उन्हें इसका फायदा मिल सके। चुनावी रणनीति के तहत मतदाताओं को साधने के लिए पारिवारिक और सामाजिक संबंधों का भी सहारा लिया जा रहा है। हालांकि, अभी तक चुनाव की तारीखों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में माहौल पूरी तरह चुनावी बन चुका है।

By UP Khabariya

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