मऊ, हेट स्पीच मामले में दोषी ठहराए गए मऊ के पूर्व सदर विधायक अब्बास अंसारी की विधायकी बचाने की आखिरी उम्मीद पर आज बड़ा मोड़ आ आगया। अब्बास के वकील दरोगा सिंह द्वारा दायर की गई अपील पर मऊ के एमपी एमएलए फास्ट्रेक जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव कुमार वत्स की अदालत में सुनवाई चली, जिसमें गत 30 जून को माननीय न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के बीच लंबी बहस के पश्चात फाइल को आदेश में लिया था और आज तारीख 5 जुलाई को जज ने अपना फैसला दिया जिसमें उन्होंने उनके अंतरिम बेल को 50,000 मुचलके पर जमानत दी। साथ ही सजा पर स्थगन देने के साथ उनकी “दोष सिद्धि” को बरकरार रखा। इसके बाद उन्हें आगे हाईकोर्ट में अपने लिए याचिका डालनी होगी।

बचाव पक्ष अब्बास अंसारी पूर्व विधायक के वकील दरोगा सिंह ने बताया कि आज सुनवाई हुई कन्वेंशन के बाद जजमेंट आ गया उसमें कन्वेंशन के सेंटेंस के प्रार्थना पत्र पर सेंटेंस को इन्होंने स्टे दे दिया कन्वेंशन को इन्होंने स्ट नहीं दिया है, साथ ही अब्बास अंसारी और मंसूर अंसारी को 50,000 के मुचलके पर जमानत दे दी गई है। जो एक अपील है सेशन कोर्ट में उसका 25 जुलाई की तारीख लगी है। कन्वेंशन सेंटेंस में सेंटेंस को उन्होंने स्टे कर दिया, कन्वेंशन को स्टे नहीं किया, आगे हम लोग हाई कोर्ट जाएंगे। विधायकी की बचने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी बहुत समय है, अगर हाईकोर्ट स्टे कर देगा तो विधायकी बच जाएगी!

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शासकीय अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने बताया कि बीते दिनों सीजेएम कोर्ट द्वारा अब्बास अंसारी के खिलाफ दो सिद्ध हुआ था और 2 साल की सजा सुनाई गई थी। उसके खिलाफ उनके अधिवक्ता दरोगा सिंह के द्वारा अपील दाखिल किया गया था अपील के साथ दो प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिसमें उन्होंने ने सजा को स्टे दे दिया। और बेल की मांग की गई थी। आज उसे पर सुनवाई होकर के माननीय एमपी एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है इसमें सजा मात्र 2 वर्ष की थी। वह सीआरपीसी में ही प्रावधान है उनका बेल दे देनी चाहिए तो उन्होंने दे दिया है। और उसके अलावा जो सेंटेंस थे। उन्हें सजा हुई थी उस सजा को स्टे किया लेकिन कोर्ट ने दोष सिद्धि उनके विरुद्ध हुई है। उसको कायम रखा है उसपर स्टे नहीं किया। इस आधार पर उनका प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है। सेंटेंस यानी जितने साल सजा हुई है उसपर स्टे मिला है। अब्बास अंसारी और मंसूर अंसारी को 50 हजार के मुचलके पर जमानत मिल गई है। जो दो सिद्ध कायम है वह आज भी दोष सिद्ध है। जेल नहीं जाएंगे वे पेरोल पर रहेंगे। आज भी दोष सिद्ध हैं।

यह मामला 31 मई को एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. के.पी. सिंह द्वारा सुनाए गए फैसले से जुड़ा है, जिसमें अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने 1 जून को उनकी विधायकी समाप्त कर दी थी।

मामला क्या है?

2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान, 3 मार्च को मऊ के पहाड़पुर मैदान में एक चुनावी सभा में अब्बास अंसारी ने ऐसा भाषण दिया, जिसे चुनाव आयोग ने आचार संहिता और कानून व्यवस्था के विरुद्ध माना।

उन्होंने मंच से कहा था – “मैं अखिलेश भैया से कहकर आया हूं, सरकार बनने के बाद 6 महीने तक किसी का तबादला नहीं होगा, पहले हिसाब-किताब होगा।”

इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने उनके प्रचार पर 24 घंटे की रोक लगाई थी। बाद में 4 अप्रैल 2022 को कोतवाली मऊ में तत्कालीन एसआई गंगाराम बिंद की शिकायत पर FIR दर्ज की गई। इसमें अब्बास के साथ उनके भाई उमर अंसारी, चुनाव एजेंट मंसूर और करीब 150 अज्ञात लोगों को नामजद किया गया।

FIR में दर्ज धाराएं:
IPC की धारा 506 (धमकी), 171F (चुनाव प्रक्रिया में बाधा), 186 (लोकसेवक को कार्य से रोकना), 189 (लोकसेवक को धमकाना), 153A (सम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाना), और 120B (षड्यंत्र)।

By UP Khabariya

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