बस्ती: नेशनल मिशन ऑन ऑर्गेनिक फार्मिंग के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती में चल रहे पाँच दिवसीय प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत आज कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती की वैज्ञानिक विधियों पर विस्तार से प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने एवं टिकाऊ खेती के विकल्पों को अपनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। कार्यक्रम की शुरुआत केंद्र के प्रभारी डॉ. पी. के. मिश्र द्वारा की गई, जिन्होंने बानिकी (एग्रोफॉरेस्ट्री), पारिस्थितिक संतुलन और प्राकृतिक खेती की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में रासायनिक खेती के दुष्परिणामों से बचने के लिए प्राकृतिक खेती एक सशक्त और प्रभावी विकल्प बनकर उभर रही है। डॉ. मिश्र ने ग्रामीण महिलाओं से आह्वान किया कि वे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर खेती को लाभकारी एवं पर्यावरण हितैषी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएं। प्राकृतिक खेती के नोडल अधिकारी एवं शस्य वैज्ञानिक डॉ. हरिओम मिश्र ने पोषक तत्व प्रबंधन पर गहन जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती में पोषक तत्वों की पूर्ति जीवामृत, घन जीवामृत, नीमास्त्र, अग्नास्त्र आदि प्राकृतिक विधियों से की जा सकती है। उन्होंने पौधों में पोषक तत्वों की कमी से उत्पन्न होने वाले लक्षणों की पहचान और उनके समाधान के उपायों को भी प्रशिक्षणार्थियों के साथ साझा किया। डॉ. मिश्र ने अपने अनुभवों के आधार पर बताया कि किस प्रकार प्राकृतिक विधियों से खेती की लागत को घटाकर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान एवं मास्टर ट्रेनर श्री राजेन्द्र सिंह एवं श्री राम मूर्ति मिश्रा ने खेती की पारंपरिक तकनीकों के साथ-साथ आधुनिक प्राकृतिक विधियों के समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने जीवामृत, घन जीवामृत, ब्रह्मास्त्र जैसे जैविक उत्पादों के निर्माण की विधियों का प्रदर्शन किया और उनके लाभों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन विधियों को अपनाकर बिना रासायनिक खाद एवं कीटनाशक के भी उत्तम फसल प्राप्त की जा सकती है। केंद्र के वैज्ञानिक श्री आर. बी. सिंह ने बीज शोधन की तकनीकों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीज शोधन एक आवश्यक प्रक्रिया है जिससे बीजों को रोग मुक्त बनाया जाता है और अंकुरण क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। वहीं डॉ. बी. बी. सिंह ने बीज चयन के वैज्ञानिक मापदंडों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अच्छे बीज ही अच्छी फसल की आधारशिला होते हैं, इसलिए स्थानीय जलवायु और मृदा के अनुसार उपयुक्त बीज का चयन आवश्यक है। गृह विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. अंजली वर्मा ने प्राकृतिक पोषण वाटिका के प्रबंधन विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पोषण वाटिका के माध्यम से परिवारों की सब्जी एवं पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है। साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों को कम लागत में घरेलू स्तर पर जैविक सब्जियों के उत्पादन के उपाय बताए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बी. बी. सिंह द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रेम शंकर द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक, तकनीकी कर्मचारी, कृषि सखियाँ एवं स्थानीय कृषक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को अत्यंत उपयोगी बताया और भविष्य में प्राकृतिक खेती को अपनाने की प्रतिबद्धता जताई। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं को जैविक खेती की दिशा में प्रेरित करने वाला एक सराहनीय प्रयास सिद्ध हुआ।

By UP Khabariya

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