न फॉर्च्यूनर, न स्कॉर्पियो… बल्कि एक सजी-धजी बैलगाड़ी में हुई दुल्हन की विदाई, लोगों ने कहा………
यूपी: “जब पूरे देश में शादियाँ लग्ज़री कारों, घोड़ी-बग्घी और हाई-फाई डीजे पर नाचने तक सिमट चुकी हैं, ऐसे में झाँसी के एक सरकारी इंजीनियर बेटे ने कुछ अलग कर दिखाया। वो न तो दिखावे में फंसा, न परंपराओं को भूला। इसने अपनी शादी में वो किया… जो अब किस्सों में सुनने को मिलता है।”
“यह नज़ारा है झाँसी के चिरगांव इलाके का। जहां एक शादी ने परंपरा और सादगी का ऐसा संगम रचाया, कि लोग देखते ही रह गए। इंजीनियर अभिजीत ने दुल्हन बबली संग लिए सात फेरे, रस्में भी हुईं, बारातियों ने झूमकर डांस भी किया… मगर जब विदाई का वक्त आया, तो सामने न कोई फॉर्च्यूनर, न स्कॉर्पियो… बल्कि एक सजी-धजी बैलगाड़ी!”
“क्या अब बैलगाड़ी शादियों की शान बनेंगी? क्या ये एक इत्तेफाक था या पुरानी जड़ों से जुड़ने की एक कोशिश? सवाल बहुत हैं, लेकिन जवाब में है बुंदेलखंड की धड़कन।”
“सरकारी अध्यापक संतोष कुमार के बेटे अभिजीत ने तय किया था कि वो शादी को सिर्फ एक इवेंट नहीं, एक संदेश बनाएंगे। और यही वजह थी कि दुल्हन बबली की विदाई एक बैलगाड़ी से हुई। एक बार फिर गांव की मिट्टी की खुशबू से जुड़ने की कोशिश।”
“हमारा मकसद था कि पुरानी परंपराएं जिंदा रहें। बुंदेलखंड की पहचान बैलगाड़ी रही है। आज इसे फिर से अपनाकर बहुत गर्व हो रहा है।”
“जब बाकी दुनिया शादियों में लाखों खर्च कर इंस्टाग्राम रील्स बनवा रही है, अभिजीत और बबली ने एक बैलगाड़ी में सवार होकर समाज को आइना दिखाया है। ये महज़ एक विदाई नहीं थी, बल्कि हमारी मिट्टी, हमारी परंपरा और हमारी असली पहचान की वापसी थी।”
“कभी-कभी एक बैलगाड़ी भी बहुत कुछ कह जाती है… वो बताती है कि दिखावे के इस दौर में भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो जड़ों से जुड़ना नहीं भूले। ये कहानी सिर्फ एक शादी की नहीं, परंपरा और संस्कृति को बचाने की है।