नारी डेस्क: जितिया व्रत (जीवित्पुत्रिका व्रत) 14 सितंबर को मनाया जाएगा। इसका पारण अगले दिन, 15 सितंबर को किया जाएगा। इस व्रत के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है।

यदि नियमों का पालन नहीं किया गया, तो व्रत निष्फल हो सकता है।

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जितिया व्रत का महत्व

जितिया व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान सुख और बच्चों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करना है। इसे स्त्रियां करती हैं और इसमें जीमूतवाहन और चील सियारिन की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यह व्रत न सिर्फ संतान सुख देता है, बल्कि उन महिलाओं के बच्चों की रक्षा करता है, जिनके बच्चे गर्भ में या जन्म से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। यह व्रत महाभारत काल से चल रहा है और इसे कठिन निर्जला व्रत के रूप में मनाने की परंपरा रही है।

जितिया व्रत की शुरुआत और व्रत पारण का मुहूर्त

जितिया व्रत की शुरुआत 13 सितंबर को होती है, जब महिलाएं नहाय-खाय कर व्रत की तैयारी करती हैं। इसके अगले दिन, 14 सितंबर को स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं। इस वर्ष, जितिया व्रत का पारण 15 सितंबर 2025 को किया जाएगा, जो सुबह 6:10 बजे से 8:32 बजे के बीच उपयुक्त मुहूर्त में किया जा सकेगा।

जितिया व्रत पारण की विधि

जितिया व्रत पूरा होने के बाद सबसे पहले जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करें। पारण के दिन सूर्योदय के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं ताजा भोजन करके व्रत खोलती हैं। पारण में आमतौर पर झींगा मछली, मडुआ रोटी, रागी की रोटी, तोरई की सब्जी, चावल और नोनी का साग खाया जाता है। साथ ही व्रत की पूजा में बच्चे को पहनाने वाली करधनी चढ़ाई जाती है और पारण वाले दिन इसे बच्चे को पहनाया जाता है। ध्यान रहे कि व्रत पूरा होने के बाद बासी या अधपका भोजन बिल्कुल न खाएं और केवल ताजा, शुद्ध भोजन का ही सेवन करें।

जितिया व्रत के दौरान सभी नियमों का पूरी तरह पालन करना बहुत जरूरी है। पारण के समय केवल ताजा भोजन ही खाएं, ताकि व्रत पूर्ण और सफल माना जा सके।

By UP Khabariya

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