नेपाल में कल जो कुछ हुआ, उसने बता दिया कि लोगों के लिए सोशल मीडिया की आजादी क्या मायने हैं. यही वजह है कि भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन को लेकर जब जेन जी का गुस्सा नेपाल की सड़कों पर फूटा तो सरकार की चूलें हिल गई. देर रात तक ये भी खबर आ गई है कि नेपाल सरकार ने युवाओं के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश सोमवार को वापस ले लिया.

लेकिन तब तक तक नेपाल में प्रतिबंध के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में कम से कम 19 स्थानीय लोगों की मौत हुई और 300 से अधिक घायल हो चुके थे. इस बीच सोशल मीडिया पर एक नाम जिसकी खूब चर्चा हो रही है, वो हैं मेयर बालेंद्र शाह, जिन्हें लोग प्यार से ‘बालेन’ कहते हैं.

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आखिर क्यों चर्चा में मेयर बालेंद्र

नेपाल में तमाम सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक के पोस्ट बालेन के समर्थन से अटे पड़े हैं, जिसमें लोग मेयर बालेन से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय नेतृत्व संभालने की मांग कर रहे हैं. जेन जी अपनी टाइमलाइन पर “प्रिय बालेन, अभी नहीं तो फिर कभी नहीं लिखकर उन्हें एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने और देश को नई दिशा देने की गुजारिश कर रहे हैं. दरअसल इन सभी का मानना है कि नेपाल की तीन प्रमुख पारंपरिक पार्टियों के नेताओं ने देश को निराशा के गर्त में धकेला है. इसलिए अब वो समय है कि बालेन जैसे युवा और ईमानदार नेता सामने आएं और देश की तरक्की की राह को खोले.

पीएम के इस्तीफे की मांग तेज

यह समर्थन का सैलाब उस समय उमड़ा, जब सरकार ने सोशल मीडिया प्रतिबंध, व्यापक भ्रष्टाचार और राजनेताओं के बच्चों की शानो-शौकत भरी जीवनशैली के खिलाफ जेनरेशन-जेड (Gen Z) के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया. सोमवार को हुए पुलिस दमन में देशभर में 20 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए. सरकार के इस बल प्रयोग की हर जगह निंदा हो रही है, जिसने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग को और तेज कर दिया है. इस बीच बालेन को देश का नेतृत्व सौंपने की आवाजें भी बुलंद हो रही हैं. गृह मंत्री रमेश लेखक ने 19 प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद नैतिक आधार पर प्रधानमंत्री ओली को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.

बालेन का उदय और जनता का भरोसा

बालेन शाह, एक सिविल इंजीनियर, रैपर और काठमांडू के 15वें मेयर हैं. जिन्होंने 2022 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर इतिहास रचा था. उनकी इस जीत ने यह साबित किया कि पारंपरिक राजनीतिक दलों के बिना भी जनता का भरोसा जीता जा सकता है. बालेन ने अपने कार्यकाल में काठमांडू में कई बड़े सुधार किए, जैसे सड़कों की सफाई, फुटपाथों को पैदल यात्रियों के लिए साफ-सुथरा बनाना, सरकारी स्कूलों की निगरानी को बेहतर करना और टैक्स चोरी करने वाले निजी स्कूलों पर नकेल कसना. उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी बेदाग छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस नीति रही है.

मीडिया भी मान चुका है बालेन का लोहा

साल 2023 में टाइम मैगजीन ने उन्हें अपने टॉप 100 उभरते नेताओं की सूची में शामिल किया था, सिर्फ इतना ही नहीं न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे वैश्विक मीडिया ने भी उनकी तारीफ की थी. बालेन की लोकप्रियता, खासकर युवाओं में ज्यादा है. इसलिए उन्हें नेपाल की राजनीति में एक नई उम्मीद का प्रतीक बना दिया है. उनकी यह छवि तब और मजबूत हुई जब उन्होंने हाल ही में Gen Z के नेतृत्व वाले प्रदर्शन का समर्थन किया. उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि हालांकि वे आयु सीमा (28 वर्ष से कम) के कारण प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन उनकी पूरी सहानुभूति और समर्थन प्रदर्शनकारियों के साथ है. उन्होंने राजनीतिक दलों और नेताओं से इस आंदोलन का दुरुपयोग न करने की अपील भी की.

Gen Z का आक्रोश और सरकार का दमन

सोमवार को काठमांडू और देश के अन्य शहरों में हजारों युवा सड़कों पर उतर आए थे. ये प्रदर्शनकारी, जिनमें से कई स्कूल और कॉलेज की ड्रेस में थे, सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स, पर लगाए गए प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगा रहे थे. प्रदर्शनकारियों के प्लेकार्ड्स पर लिखे नारे जैसे “भ्रष्टाचार बंद करो, सोशल मीडिया नहीं” और “युवा भ्रष्टाचार के खिलाफ” उनकी मांगों को बुलंद कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी संसद भवन की ओर बढ़े और बैरिकेड्स तोड़कर परिसर में घुस गए.

नेपो किड्स की क्यों इतनी चर्चा

पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन, आंसू गैस, रबर बुलेट्स और यहां तक कि फायरिंग का सहारा लिया. इस हिंसक कार्रवाई की संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने निंदा की है और स्वतंत्र जांच की मांग की है. प्रदर्शन का एक प्रमुख कारण “नेपो किड्स” और “नेपो बेबीज़” जैसे हैशटैग्स भी थे, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इनमें राजनेताओं के बच्चों की शानदार जीवनशैली को निशाना बनाया गया, जिनके बारे में लोगों का मानना है कि वे भ्रष्टाचार से कमाए गए धन से अपनी ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं. नेपाल जैसे गरीब मुल्क में, जहां प्रति व्यक्ति आय मात्र 1,300 डॉलर है, ऐसी असमानता ने जनता, खासकर युवाओं, में गुस्सा भड़का दिया.

By UP Khabariya

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