महराजगंज: योगी सरकार के तमाम दावे के बाद भी फर्जीवाड़ा व भष्ट्राचार अपने चरम पर है। मामला महराजगंज जिले की निचलौल तहसील (Nichlaul tahsil) का है। इस मामले को जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे व महराजगंज के आलाधिकारी पर सवाल उठाते हुए नजर आ रहे हैं।

ये पूरी कहानी है निचलौल तहसीलदार कोर्ट में नौकरी कर रहे पेशकार रामेश्वर ओझा की। इनपर आरोप है कि ये दिव्यांग नहीं है। सामान्य तौर पर चलते भी हैं और इनकी जीवनशैली भी औरों की तरह सामान्य है, लेकिन यह महाशय जिले के कुछ आलाधिकारियों की मदद से दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाकर नौकरी वाली जिंदगी जी रहे हैं।

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इस पूरे मामले में जांच के लिए परसामलिक के शिकायकर्ता महीनों से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन जांच की कागज बन तो रही है, लेकिन जमी पर उतर नहीं रही है। शिकायकर्ता इस मामले में निष्पक्ष जांच चाहते हैं। ताकी सच्चाई सामने आ सके। और फर्जीवाड़ा उजागर हो सके।

इस पूरे मामले में शिकायकर्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह महीनों से न्याय की तलाश में जिलाधिकारी दफ्तर से लेकर निचलौल तहसील व मुख्य चिकित्सा अधिकारी की चक्कर लगा रहे हैं। शिकायकर्ता का आरोप है कि रामेश्वर ओझा पुत्र योगेन्द्र ग्रा. व पोस्ट बरोहिया के निवासी हैं, जो कि तहसील निचलौल में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर तहसीलदार निचलौल के न्यायलय में पेशकार की नौकरी कर रहे हैं।

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शिकायतकर्ता का आरोप यह भी है कि रामेश्वर ओझा शाररिक रूप से स्वस्थ्य हैं, जिन्होंने 50 फीसदी फर्जी दिव्यांग की सर्टिफिकेट बनाकर नौकरी कर रहे हैं। वहीं इस पूरे मामले में किसी भी तरह की बयान देने से रामेश्वर ओझा मीडिया से बचते हुए नजर आ रहे हैं।

इस मामले में जब हमारी टीम पेशकार रामेश्वर ओझा से बात करने की कोशीश की तो पेशकार साहब कैमरे से बचते हुए दिखाई दिए। देखने वाली बात यह है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच कब तक होती है…या यूंहीं दिव्यांग शिकायतकर्ता राघवेन्द्र ऑफिस-ऑफिस चक्कर काटते रहेगें।

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