महराजगंज जिले के घुघली क्षेत्र स्थित एक गांव जिसका नाम विशुनपुर गबडुआ है, इस गांव के लोगों ने अंग्रेजी शासन की नीव हिला कर रख दी थी। अंग्रेजो के खिलाफ उठ रही देश भर की आवाजों में से विशुनपुर गबडुआ के 3 क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर अपनी आवाज बुलंद की थी।

26 अगस्त 1942 को अंग्रेजी हुकूमत से गांव की नाकाबंदी का फरमान जारी हुआ सिपाहियों ने गांव घेर लिया था लेकिन गांव के ही सुखराज, झिनकू और काशीनाथ ने अंग्रेज सिपाहियों को खुली चुनौती पेश की थी। नाकेबंदी की योजना का विरोध होते हुए सिपाहियों ने सुखराज और झिनकू पर गोली चला दी दोनों क्रांतिकारियों की मौके पर मौत हो गई जबकि काशीनाथ को जेल में डाल दिया गया। गांव में छिपे करीब दो दर्जन से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया गया।जमकर कोड़े बरसाए गए। इन सभी के ऊपर अंग्रेजों के खिलाफत का इल्जाम लगा। इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने ग्राम वासियों का एक-एक कर दमन शुरू कर दिया।

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महात्मा गांधी की एक जनसभा महाराजगंज में प्रस्तावित हुई थी जिसका प्रचार प्रसार लोगों ने गांव गांव जाकर
किया था। बताया जाता है कि अक्टूबर 1929 को महात्मा गांधी ने महाराजगंज के लोगों को एक जनसभा के माध्यम से संबोधित किया था। इस संबोधन ने महराजगंज के लोगों में आजादी की लहर पैदा कर दी थी जिसकी आंच सीधे तौर पर अंग्रेजी हुकूमत को महसूस होने लगी थी।

महात्मा गांधी से प्रेरित हो कर प्रोफेसर शिब्बन लाल सक्सेना, आजादी का मंत्र जनपद वासियों से साझा करने लगे। इस बात की सूचना अंग्रेजों को लगी कि विशुनपुर गबडुआ में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एक बैठक हो रही है। 26 अगस्त 1942 को पता चला कि प्रोफेसर सक्सेना बिशुनपुर गबडुआ गांव में लोगों को अंग्रेजो के खिलाफ भड़का रहे हैं बस क्या था अंग्रेजी सिपाहियों ने गांव को घेर लिया और एक एक घर की तलाशी शुरू कर दी इसी बीच प्रोफ़ेसर सक्सेना गांव से बाहर निकल गए।

बिशुनपुर गबडुआ के लोग अंग्रेजों का विरोध करने लगे जिनमें गांव के तीन क्रांतिकारियों का नाम आज भी अमर है।
सुखराज, झिनकू ने अपने घर से बाहर निकल कर अंग्रेजों को चुनौती दिया, जिसके विरोध में अंग्रेजी सिपाहियों ने दोनों को गोलियों से भून दिया।जबकि काशीनाथ को जेल में डाल दिया गया।परिजनों ने बताया कि उनकी लाश तक नहीं मिली।
विशुनपुर गबडुआ में आज भी शहीद स्मारक पर गांव के लोग तीनो क्रांतिकारियों को याद कर भावुक हो जाते हैं, ग्रामीण उनके बलिदान को नमन करते हैं।

महराजगंज जिले के घुघली क्षेत्र के बिशुनपुर गबडुआ गांव का शहीद स्थल आज भी ब्रिटिश हुकूमत के क्रूरता की याद दिलाता है। शहीद स्थल पर उन अमर सपूतों का नाम अंकित है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी। गांव के बुजुर्ग उस वक्त को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं। अंग्रेजो के डर से कैसे लोग कांपते थे, आजादी की लड़ाई में अमर सूपतों ने किस तरह से अपना योगदान दिया, यह सब इतिहास के पन्नो में दर्ज है।स्वतंत्रता दिवस करीब है ऐसे में शहीद स्थल की साफ सफाई शुरू हो गई है। 15 अगस्त को यहां पर आजादी का कार्यक्रम कर अमर सपूतों को याद किया जाएगा।

पूर्व प्राचार्य डॉ. पीआर गुप्ता द्वारा लिखित पूर्वांचल के गांधी नामक पुस्तक में विशुनपुर गबडुआ के इतिहास को दशार्या गया है। पुस्तक में अंकित तथ्यों के अनुसार विशुनपुर गबडुआ गांव के लोगों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बगावत की शुरुआत की थी।

By UP Khabariya

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One thought on “महराजगंज का एक ऐसा गाँव जहाँ से उठी थी आजादी की चिंगारी , अंग्रेजों ने 2 को गोलियों से भुना था,15 लोगों पर किया था अत्याचार”

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